Kavya Soni

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लेखनी प्रतियोगिता -03-Nov-2022 शीतलता

जिंदगी के दौड़ धूप की
चाहे कितनी हो थकान
फिर भी लबों पर सजी रहे
एक मीठी सी मुस्कान
अजब सी है
इस शीतलता का भाव
शायद ऐसा ही है प्रेम का प्रभाव

लगे सुहाना हर मंजर
मन बहता जज्बातों का समंदर
भाएं मन को ये बहाव
हुआ कुछ ऐसा तुमसे लगाव
ये है प्रेम का प्रभाव

ना कुछ पाने की चाहत
सजी रहे दिल में
तेरी मुहब्बत की जगमगाहट
दिल का है तेरी तरफ झुकाव
ये है तेरे ही प्रेम का प्रभाव

तेरी मीठी बातों की शीतलता
तेरे प्यार भरे स्पर्श की कोमलता
तेरी मुहब्बत से है मन में चंचलता
तेरे लिए खास है मन के भाव
हुआ कुछ इस कदर तुमसे लगाव
ये है तेरे प्रेम का प्रभाव


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9 Comments

Suryansh

08-Nov-2022 09:14 AM

बहुत ही उम्दा सृजन

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बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ

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Teena yadav

03-Nov-2022 10:01 PM

Superb 👌👌

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